प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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भँवरगुंजार संज्ञा पुं॰ दे॰ [देश॰] एक प्रकार का डिंगल गीत । इसके पहले पद में १६, दूसरे पद के अंत में दो लघु सहित १४, तीसरे में १४ और चतुर्थ पद के अंत में २ गुरु सहित ९ मात्राएँ होती हैं । जैसे,—निज धनुष गह कर जगत नायक, सात बेधे ताड़ सायक । महक दुंदभ करक नभ मग, जमे जस जागे ।—रघु॰ रू॰, पृ॰ १५० ।