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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

भँजनी † संज्ञा॰ स्ञी॰ [हिं॰ भाँजना] करघे का एक अंग जो ताने को विस्तृत रखने, के लिये उसके किनारे पर लगाया जाता है । यह बाँस की तीन चिकनी, सीधी और दृढ़ लकड़ियों से बनता है जो पास पास समानांतर पर रहती हें । इन्हीं तीनों लकड़ियों के बीच की संधियों में से ऊपर नीचे होकर ताना लगाया जाता है । यह बुननेवाले के सामने किनारे पर रहता है । भँसरा ।