बिखेरना क्रि॰ स॰ [हिं॰ बिखरना का सक॰ रूप] खंडों या कण को इधर उधर फैलाना । तितर बितर करना । छितराना । छिटकाना । छींटना । उ॰—है बिखेर देती वसुंधरा मोती सबके सोने पर, रवि बटोर लेता है उनको सदा सबेरा होने पर ।—पंचवटी, पृ॰ ६ । संयो॰ क्रि॰—डालना ।—देना ।