प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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बासर संज्ञा पुं॰ [सं॰ वासर]

१. दिन ।

२. सबेरा । प्रातःकाल । सुबह ।

२. वह राग जो सबेरे गाया जाता है । जैसे, प्रभाती, भैरवी इत्यादि । उ॰—सर सो प्रतिबासर बासर लागै । तन घाव नहीं मन प्राणन खाँगै । केशव (शब्द॰) ।