बावजूद क्रि॰ वि॰ [फा॰] होते हुए भी । /द्यपि । उ॰—समस्त पच्चीकारी और मीनाकारी के बावजूद प्रकृति और प्रेम संबंधी रचनाओं में भी प्रकट होता है ।—बंदन॰, पृ॰ २० ।