प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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बाजु पु अव्य॰ [सं॰ बर्ज्य, मि॰ फ़ा॰ बाज]

१. बिना । बगीर । उ॰—(क) नख शिख सुभग श्यामघन तन को दरसन हरत बिथा जु । सूरदास मन रहत कौन बिधि बदन बिलोकनि बाजु ।—सूर (शब्द॰) । (ख) का भा जोग कहानी कथे । निकस न धीउ बाजु दधि मथे ।—जायसी (शब्द॰) ।

२. अतिरिक्त । सिवा ।