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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

बाँसा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पंशक, हिं॰ बाँस] बाँस का बना हुआ चोंगे के आकार का वह छोटा नल जो हल के साथ बँधा रहता है । अरना । तार । विशेष—इसी में बोने के लिये अन्न भरा रहता है जो नीचे की ओर से गिरकर खेत में पड़ता है ।

बाँसा ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ वंश ( = रीढ़)]

१. नाक के ऊपर की हड्डी जो दोनों नथनों के ऊपर बीचोबीच रहती है । मुहा॰—बाँसा फिर जाना = नाक का टिढ़ा हो जाना (जो मृत्यु काल के समीप होने का चिह्व माना जाता है) ।

२. पीठ की लंबी हड्डी जो गरदन के नीचे से लेकर कमर तक रहती है । रीढ़ ।

बाँसा ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ प्रिय + बाँस] एक प्रकार का छोटा पौधा । पियाबाँसा । उ॰—मोथा नीब चिरायत बाँसा । पीतपापरा पित कहँ नासा ।—इद्रा॰, पृ॰ १५१ । विशेष—इस पौधे में चंपई रंग के बहुत सुंदर फूल लगते हैं । इसके बीज बहुत छोटे और काले रंग के होते हैं । इसकी लकड़ी के कोयलों से बारूद बनती है ।

बाँसा † ^४ क्रि॰ वि॰ [सं॰ पार्श्व, हिं॰ पास, राज॰ वास] पास । समीप । बगल । उ॰—प्रीतम वाँसइ जाइ नइँ मुई सुणाए मुझ्झ ।—ढोला॰, दू॰ ६२५ ।