बाँस का पेड़

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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

बाँस संज्ञा पुं॰ [सं॰ वंश]

१. तृण जाति की एक प्रसिद्ध वनस्पति जिसके कांडों में थोड़ी थोड़ी दूर पर गाँठें होती हैं और गाँठों के बीच का स्थान प्रायः कुछ पोला होता है । विशेष—भारत में इसकी ठोस, पोली, मोटी, पतली, लंबी, छोटी आदि प्रायः २८ जातियाँ और १०० से ऊधर उपजातियाँ होती हैं । जैसे,—नरी, रिंगल, कँटबाँस, बोरो, नलबाँस, देवबाँस, बाँसिनी, गोबिया, लतंग (तिनवी) , कोकवा, सेजसई (तीली), खाँग, तिरिया, करैल, भूली (पैवा), बुलंगी आदि । यह गरम देशों में अधिक होता है और बहुत से कामों में आता है । इससे चटाइयाँ, टोकरियाँ, पंखे, कुरसियाँ, टट्टर, छप्पर, छड़ियाँ, आदि अनेक चीजें बनती हैं । कहीं कहीं तो लोग केवल बाँस से ही सारा मकान बना लेते हैं और कहीं कहीं कच्चे बांस के चोंगों में भरकर चावल तक पका लेते हैं । इसके पतले रेशों से रस्सिया भी बनती हैं । इसके कोपलों का मुरब्बा और अचार भी तैयार किया जाता है । इसके रेशों से मजबूत कागज बनता है । प्रायः एक ही स्थान पर बहुत से बाँस एक साथ एक झुरमुट में उत्पन्न होते हैं जिसे 'कोठी' कहते हैं । गरम देशों में प्रायः बहुत बड़े तथा मोटे और ठढे देशों में छोटे और पतले बाँस होते हैं । कुछ बाँस ऐसे होते है जो जड़ की ओर अधिक मोटे और सिरे की ओर पतले होते जाते हैं । कुछ ऐसे भी होते है जिनकी मोटाई सब जगह बराबर रहती है । ऐसे बाँस प्रायः छड़ियाँ और छाते की डंडियाँ बनाने के काम में आते हैं । बहुत बड़े बड़े बाँस प्रायः सौ हाथ तक लंबे होते हैं । कुछ छोटे बाँस लता के रूप में भी होते हैं । सब प्रकार के बाँसों में एक प्रकार के फूल लगते हैं, पर कुछ बाँस, विशेषतः बड़े बाँस, फूलने के पीछे प्रायः तुरंत नष्ट हो जाते है । बाँस के फूल आकार मे जई की बालों के समान होते हैं और उनमें छोटे छोटे दाने होते हैं जो चावल कहलाते हैं और पीसकर ज्वार आदि के आटे में मिलाकर खाए जाते हैं । यह एक विलक्षण बात है कि प्रायः अकाल के समय बाँस अधिकता से फूलते हैं, और उस समय इन्हीं फूलों को खाकर सैकड़ों आदमी अपने प्राण बचाते हैं । भारत में बाँसों का फूलना बहुत ही अशुभ माना जाता है । बाँसों की पत्तियाँ पशुओं को चारे और औषध के रूप में खिलाई जाती है । तबाशीर या वंशलोचन भी बाँसों से ही निकलता है । मुहा॰—बाँस पर चढ़ना = बदनाम होना । बाँस पर चढ़ाना = (१) बदनाम करना । (२) बहुत बढ़ा देना । बहुत उन्नत या उच्च कर देना । (३) मिजाज बढ़ा देना । बहुत आदर करके धृष्ट या घर्मडी बना देना । बाँसों उछलना = बहुत अधिक प्रसन्न होना । खूब खुश होना ।

२. एक नाप जो सवा तीन गज की होती है । लाठा ।

३. नाव खेने की लग्गी ।

४. पीठ के बीच की हड्डी जो गरदन से कमर तक चली गई है । रीढ़ ।

५. भाला (डिं॰) ।