प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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बाँक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ बङ्क]

१. चंद्राकार बना हुआ टाँड़ जो बच्चों की बाँह में पहनाया जाता है । भुजदंड पर पहनने का एक आभूषण ।

२. एक प्रकार का चाँदी का गहना जो पैरों मे ं पहना जाता है ।

३. हाथ में पहनने की एक प्रकार की पटरी या चौड़ी चूड़ी़ ।

४. लोहारों का लोहे का बना हुआ शिकंजा जिसमें जकड़कर किसी चीज को रेतते हैं ।

५. नदी का मोड़ ।

६. सरौते के आकार का वह औजार जिससे गन्ना छीलते हैं ।

७. कमान । धनुष ।

८. टेढ़ापन ।

९. एक प्रकार की छोटी छुरी जो आकार में कुछ टेढ़ी होती है ।

१०. बाँक नामक हथियार चलाने की विद्या । यौ॰—बाँक बनौट = बाँक चलाने की कला । उ॰—और बाँक बनौट से वाकिफ न होते तो भंडारा खुल जाता ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ १३६ ।

११. एक प्रकार की कसरत जिसमें बाँक चलाने का अभ्यास किया जाता है । यह कसरत बैठकर या लेटकर होती है ।

बाँक ^२ वि॰ [सं॰ बङ्क]

१. टेढ़ा । घुमावदार । उ॰—कुच जुग धरए कुंभथल कांति । बाँक नखर खत अंकुश भाँति । विद्यापति, पृ॰ १८ ।

२. बाँका । तिरछा । उ॰—बाँक नयन अरु अंजन रेखा । खंजन जान सरद रितु देखा ।—जायसी (शब्द॰) ।

बाँक ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ वक्रक] जहाज के ढांचे में वह शहतीर जो खड़े बल में लगाया जाता है ।

बाँक ^४ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार की घास ।