हिन्दी सम्पादन

प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

बहुव्रीहि संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. व्याकरण में छह् प्रकार के समासों में से एक जिसमें दो या अधिक पदों के मिलने से जो समस्त पद बनता है वह एक अन्यपद का विशेषण होता है । जैसे,— पीतांबर, आरूढ़वानर (वृक्ष) = वह वूक्ष जिसपर बंदर आरूढ़ हो ।

२. बहुत ब्रीहिवाला जन । वह व्यक्ति जिसके पास धान अधिक हो ।