प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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बहार संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰]

१. बसंत ऋतु । फूली के खिलने का मौसिम । उ॰—जिन दिन देखे वे कुसुम गई सो बीति बहार—बिहारी (शब्द॰) ।

२. मौज । आनंद । क्रि॰ प्र॰—आना ।—उड़ना ।—लूटना ।—होना ।

३. यौवन का विकास । जवानी का रंग ।

४. शोभा । सौंदर्य । रमणीयता । सुहावनापन । रौनक । जैसे,—यहाँ बड़ी बहार है । क्रि॰ प्र॰—देना ।

५. विकास । प्रफुल्लता । जैसे,—उसके सिर पर कलँगी क्या बहार देती है । मुहा॰—बहार पर आना = विकसित होना । खिलना । पूर्ण शोभासंपन्न होना ।

६. मजा । तमाशा । कौतुक । जैसे,—उस बेवकूफ को वहाँ ले चलो, देखो क्या बहार आती है । क्रि॰ प्र॰—आना ।

७. नारंगी का फूल ।

८. एक रागिनी ।