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अर्थ

ऐसा स्थान जहाँ लोग बस्ते हैं। या रहने का स्थान

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

बसेरा ^१ वि॰ [हिं॰ बसना √बस + एरा (प्रत्य॰)] बसनेवाला । रहनेवाला । उ॰—(क) निपट बसेरे अघ औगुन घनेरे नर नारिऊ अनेरे जगदंब चेरी चेरे हैं ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) पै तूँ जंबुदीप बसेरा ।—जायसी ग्रं॰, पृ॰ १३८ ।

बसेरा ^२ संज्ञा पुं॰

१. वह स्थान जहाँ रहकर यात्री रात बिताते हैं । बासा । टिकने की जगह ।

२. वह स्यान जहाँ चिड़ियाँ ठहरकर रात बिताती हैं । उ॰—धाइ खाइ जनु जाइ न हेरा । मानहुँ विपति विषाद बसेरा ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) पिय मूरति चितसरिया चितवति बाल । चितवति अवध बसेरवा जपि जपि माल ।—रहिमन (शब्द॰) । मुहा॰—बसेरा करना=(१) डेरा करना । निवास करना । ठहरना । उ॰—(क) बहुते को उद्यम परिहरै । निर्भय ठौर बसेरो करै ।—सूर (शब्द॰) । (ख) हाथी घोड़ा बैल बाहनौं संग्रह किया घनेरा । बस्ती में से दिया खदेरी जंगल किया बसेरा ।—कबीर (शब्द॰) । (२) घर बनाना । रहना । बस जाना । उ॰—कहा भयो जो देश द्वारका कीन्हों दूर बसेरो । आपुनही या ब्रज के कारण करिहौ फिरि फरि फेरो ।—सूर (शब्द॰) । बसेरा लेना=निवास करना । वास करना । रहना । उ॰—अरी ग्वारि मैमंत बचन बोलत जो अनेरो । कब हरि बालक भए गर्भ कब लियो बसेरो ।—सूर (शब्द॰) । बसेरा देना=(१) रहने की जगह देना । ठहराना । टिकाना । (२) आश्रय देना । ठिकाना देना । उ॰—प्रभु कह गरल बंधु ससि केरा । अति प्रिय निज उर दीन बसेरा ।—तुलसी (शब्द॰) ।

३. टिकने या बसने का भाव । रहना । बसना । आबाद होना । उ॰—(क) तन संशय मन सोनहा, काल अहेरी नित्त । एकै अंग बसेरवा कुशल पुछो का मित्त ।—कबीर (शव्द॰) । (ख) परहित हानि लाभ जिन केरे । उजरे हरष बिषाद बसेरे ।—तुलसी (शव्द॰) ।