बन्दूक

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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बंदूक संज्ञा पुं॰ [अ॰ बदूक] नली के रुप का एक प्रसिद्ध अस्त्र जो धातु का बना होता है । एक आग्नेय अस्त्र । विशेष—इसमें लकड़ी के कुदे में लोहे की एक लबी नली लगी रहती है । इसके पीछे की ओर थोड़ा सा स्थान बना होता है जिसमें गोली रखकर बारुद या इसी प्रकार के किसी औऱ विस्फोटक पदार्थ की सहायता से चलाई जाती है । इसमें से गोली निकलती है जो अपने निशाने पर जोर से जा लगती है । इसका उपयोग मनुष्यों को ओर दुसरे जीवों को मार डालने अथवा घायल करने के लिये होता है । आजकल साधारणतः सैनिकों को युद्ध में लड़ने के लिये यही दी जाती हैं । यह कई प्रकार की होती है । जैसे, कड़ाबीन, राइफल, गन, मशीनगन, (यंत्रचालित), स्वचालित, आटोमेटिक गन, स्टेनगन, आदि । क्रि॰ प्र॰—चलाना ।—छोड़ना ।—दागना ।—भरना । मुहा॰—बंदुक भरना = बंदुक चलाने के लिये उसमें गोल ी रखना । बंदूक चलाना, छोड़ना, मारना या लगाना = बंदूक में गोली भरकर उसका घोड़ा दबाना जिससे गोली निकलकर निशाने पर जा लगे । बंदूक छतियाना =(१) बंदूक को छाती के साथ लगाकर उसका निशाना ठीक करना । बंदूक को ऐसी स्थिति में करना जिससे गोली अपने ठीक निशाने पर जा लगे । (२) बदूक चलाने के लिये तैयार होना ।