बखरा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनबखरा ^१ संज्ञा पुं॰ [फा॰ बखरह्]
१. भाग । हिस्सा । बाँट । दे॰ 'बाखर' । यौ॰—बाँट बखरा ।
बखरा पु ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] घोड़े की पीठ पर पलान आदि के नीचे रखने के लिये फाल या सूखी घास आदि का दोहरा किया हुआ वह मुठ्ठा जिसपर टाट आदि लपेटा रहता है । यह घोडे़ की पीठ पर इसलिये रखा जा जाता है जिसमें घाव न हो जाय । बाखर । सुड़की ।
बखरा पु ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ बखार] पशुबंधन का स्थान । ठाँव । ठिकाना । उ॰— अति गति पग डारनि हुँकारनि । सींचत धरवि दूध की धारनि । बखरे बछारनि पै चलि आई ।— मिली धाइ, कछु नहिं कहि आई ।— नंद॰ ग्रं॰ पृ॰ २६६ ।