बकता पु वि॰ [सं॰ वकृत, वक्ता] दे॰ 'वक्ता । उ॰— (क) श्रोता बकता ज्ञाननिधि कथा राम कै गूढ़ ।—मानस, १ । ३० । (क) कथता बकता मरि गया, मूर्ख मूढ़ अजान ।—कबीर सा॰ सा॰, पृ॰ ८८ ।