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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

बंद संज्ञा पुं॰ [फा़॰, तुल॰ सं॰ बन्ध]

१. वह पदार्थ कोई वस्तु बाँधी जाय बंधन । उ॰—चौरासी को बंद छुड़ावन आए सतगुर आप री । कबीर श॰, पृ॰ ८६ ।

२. पानी रोकने का धुस्स । रोक । पुश्ता । मेड़ । बाँध । विशेष—दे॰ 'बाँध' ।

३. शरीर के अंगों का कोई जोड़ । क्रि॰ प्र॰—जकड़ जाना ।—ढीले होना ।

४. वह पतला सिला हुआ कपड़े का फीता जिससे अँगरखे, चोली आदि के पल्ले बँधे जाते हैं । तनी ।

५. कागज का लंबा और बहुत कम चौड़ा टुकड़ा ।

६. उर्दु कबिता का टुकड़ा या पद जो पाँच या छह चरणों का होता है ।

७. बंधन । कैद ।

८. चौसर में के वे घर जिनमें पहुँचने पर गोटियाँ मारी नहीं जाती ।

बंद ^२ वि॰

१. जिसके चारों ओर कोई अवरोध हो । जो किसी ओर से खुला न हो । जैसे,—(क) जो पानी बंद रहता है, वह सड़ जाता है । (ख) चारो ओर से बंद मकान में प्रकाश या हवा नहीं पहुँचती ।

२. जो इस प्रकार घिरा हो कि उसके अंदर कोई जा न सके ।

३. जिसके मुँह अथवा मार्ग पर दर- वाजा, ढकना या ताल आदि लगा हो । जैसे, बंद संदुक, बंद कमरा, बंद दुकना ।

४. जो खुला न हो । जैसे, बंद ताला ।

५. जिसका मुँह आगे का मार्ग खुला न हो । जैसे,—(क) कमल रात को बंद हो जाता है । (ख) शीशी बंद करके रख दो ।

६. (किवाड़, ढकना, पल्ला आदि) जो ऐसी स्थिति में हो जिससे कोई वस्तु भीतर से बाहर न जो सके और बाहर की चीज अंदर न आ सके । जैसे,—(क) किवाड़ आप से आप बंद हो गए । (ख) इसका ढकना बंद कर दो ।

७. जिसका कार्य रुका हुआ या स्थगित हो । जैसे,—कल दफ्तर बंद था ।

८. जो चला न चलता हो । जो गति या व्यापार युक्त न हो । रुका हुआ । थमा हुआ । जैसे, मेह बंद होना, घड़ी बंद होना, लड़ाई बंद होना ।

९. जिसका प्रचार, प्रकाशन या कार्य आदि रुक गया हो । जो जारी न हो । जिसका सिलसिला जारी न हो । जैसे,—(क) इस महीने में कई समाचारपत्र बंद हो गए । (ख) घाटा होने के कारण उन्होंने अपनो सब कारबार बंद कर दिया ।

१०. जो किसी तरह की कैद में हो ।

बंद ^३ प्रत्य॰

१. बँधा हुआ । जैसे, पाबंद ।

२. जोड़ने या बाँधनेवाला । जैसे, नाल बंद [को॰] ।

बंद ^४ वि॰ [सं॰ वन्द्य] दे॰ 'वंद्य' ।

बंद बंद संज्ञा पुं॰ [फा़॰] शरीर का एक एक जोड़ ।