फूस
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनफूस संज्ञा पुं॰ [सं॰ तुप, पा॰ भूस, फुस]
१. सूखी हुई लंबी धास जो छप्पर आदि छाने के काम में आए । उ॰—(क) कायर का घर फुस का भमकी चहुँ पछीत । शूरा के कछु ड़र नहीं गचगोरी की भीत । —कबीर (शब्द॰) । (ख) कबीर प्रगटहि राम कहि छानै राम न गाय । फूस क जोड़ा दुर करु बहुरि न लागै लाय । —कबीर (शब्द॰) ।
२. सूखा तृण । खर । तिनका ।
२. जीर्ण शीर्ण वस्तु ।