फफदना † क्रि॰ अ॰ [सं॰ प्रपतन या अनु॰] १. किसी गीले पदार्थ का बढ़कर फैलना । जैसे, गोबर का फफदना । २. फैलना । कढ़ना (चर्मरोग या घाव आदि के संबंध में) । जैसे, दाद का फफदना । घाव का फफदना ।