प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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फड़ ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ पण]

१. दाँव । जुए का दाँव जिसपर जुआरी बाजी लगाकर जुआ खेलते हैं ।

२. वह स्थान जहाँ जुआरी एकत्र होकर जुआ खेलते हों । जुआखाना । जुए का अड्डा ।

३. वह स्थान जहाँ दुकानदार बैठकर माल खरीदता या बेचना हो ।

४. पक्ष । दल । उ॰—हठकि हथ्यार फड़ बाँधि उभरवन की कीन्ही तब नीरंग ने भेंट सिवराज की ।—भूषण (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—बाँधना ।

फड़ ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पटल वा फल]

१. गाड़ी का हरसा ।

२. वह गाड़ी जिसपर तोप चढ़ाई जाती है । चरख ।

फड़ ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'फर' ।

फड़ ^४ संज्ञा पुं॰ [अनु॰] दे॰ 'फट' ।

फड़ फड़ संज्ञा स्त्री॰ [अनुध्व॰] 'फड़ फड़' की आवाज होना । कागज या चिड़ियों के पंखों के बार बार उड़ने या हिलने से उत्पन्न ध्वनि या आवाज । उ॰—फड़ फड़ करने लगे जाग पेड़ों पर पक्षी ।—साकेत, पृ॰ ४०३ ।