प्रकाशितकोशों से अर्थ

सम्पादन

शब्दसागर

सम्पादन

फँदना पु ^१ क्रि॰ अ॰ [सं॰ बन्धन या हि॰ फंदा] फंदे या बंधन में पड़ना । फँसना । उ॰— (क) प्रान पखेरू परे तलफैं लखि रूप चुगो सु फँदे गुन गाथन ।— आनंदघन (शब्द॰) । (ख) दुहुं ओर सो फाग मड़ी उमड़ी जहाँ श्री चढ़ी भीर ते भारी भिरी । धधकी दे गुलाल की धूधुर में धरी गोरी लला मुख मीडि सिरी । कुच कंचुकी कोर छुए छरकै पजनेस फँदी फरकै ज्यौं चिरी । झरपै झपै कौंध कढ़ै तरिता तरिपै मनी लाल घटा में घिरी ।— पजनेस, पृ॰ १६ ।

फँदना पु ^२ क्रि॰ सं॰ [हिं॰ फाँदना] फाँदना । लाँघना । उल्लं- घन करना । उ॰— बढयो बीर राजा करे जोर हल्ला । फंद्यो धाय खाई करयो लोग हल्ला ।—सूदन (शब्द॰) ।