फँग पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ बन्ध] फंग । बंधन । फंदा । उ॰— जमुना चली राधिका गोरी । युवति वृंद बिच चतुर नागरी देखे नंदसुअन तेहि हेरी । ब्याकुल दशा जानि मोहन की मन ही मन डरपी उनकी री । चतुर काम फँग परे कन्हाई अब धौं इनहिं वुझावै को री ।—सूर (शब्द॰) ।