प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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प्रतिप्रसव संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. किसी अवसर पर कोई ऐसे काम के लिये स्वच्छदंता जो और अवसरों पर निषिद्ध हो । जिस बात का एक स्थान पर निषेध किया गया हो, उसी का किसी विशेष अवसर के लिये बिधान । किसी बात के लिये एक स्थान पर निषेध और दूसरे स्थान पर आज्ञा । जैसे, रविवार शुक्रवार, द्वादशी को श्राद्ध में तर्पण करने का निषेध है । पर अयन, विषुव, संक्राति या ग्रहण के समय अथवा तीर्थस्थान में रविवार, शुक्रवार, द्वादशी को भी तिल से श्राद्ध करने की आज्ञा है ।