पोतना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनपोतना ^१ क्रि॰ स॰ [सं॰ प्लुत, प्रा॰ पुत्त + हिं॰ ना (प्रत्य॰) अथवा सं॰ पोतन (= पवित्र)]
१. किसी गीले पदार्थ को दूसरे पदार्थ पर फैलाकर लगाना । गीली तह चढा़ना । चुपड़ना । जैसे, रोगन पोतना, तेल पोतना, चूना पोतना । संयो॰ क्रि॰—देना ।—लेना ।
२. किसी गीले या सूखे पदार्थ को किसी वस्तु पर ऐसा लगाना कि वह उसपर जम जाय । जैसे, कालिख पोतना, अबीर पोतना, मिट्टी पोतना, धूल पोतना, रंग पोतना । संयो॰ क्रि॰—देना ।—लेना ।
३. किसी स्थान को मिट्टी, गोबर चूने आदि से लीपना । चूने मिट्टी, गोबर आदि का गीला लेप चढा़कर किसी स्थान को स्वच्छ करना । जैसे, घर पोतना, आँगन पोतना । उ॰— (क) सोमरूप भल भयो पसारा । घवलसिरी पोतहिं घर बारा ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) पोता मँडप अगर औ चंदन । देव भरा अरगज औ बंदन ।—जायसी (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—डालना ।—देना ।—लेना ।
पोतना ^३ संज्ञा पुं॰ वह कपडा़ जिससे कोई चीज पोती जाय । पोतने का कपडा़ । पोता ।