प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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पेशाब संज्ञा पुं॰ [फा़॰, तुल सं॰ प्रस्त्राव]

१. मूत । मूत्र । यौ॰—पेशाबखाना । मुहा॰—पेशाब करना = (१) मूतना । (२) अत्यंत तुच्छ समझना । पेशाब की राह बहा देना = रंडीबाजी में खर्च कर देना । पेशाब निकल पड़ना या खता होना = अत्यंत भयभीत होना । इतना डरना कि पेशाब निकल जाय । पेशाब बंद होना = (१) मूत्र का उतरना रुक जाना । (२) अत्यंत भयभीत हो जाना । (किसी के) पेशाब का चिराग जलना या पेशाब से चिराग जलना= अत्यंत अतापी होना । अत्यंत प्रभावशाली या विभघशाली होना ।

२. वीर्य । धातु ।

३. संतान । औलाद ।