पुष्प

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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

पुष्प संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. फूल । पौधों का वह अवयव जो ऋतु- काल में उत्पन्न होता है । विशेष— दे॰ 'फूल' ।

२. ऋतुमती स्त्री का रज ।

३. आँख का एक रोग । फूला । फूली ।

४. घोड़ों का एक लक्षण । चित्ती । विशेष— जिस रंग का घोड़ा हो उससे भिन्न रंग की चित्ती को पुष्प कहते हैं । कनपटी, ललाट, सिर, कंधे, छाती, नाभि और कंठ में ऐसे चिह्न हों तो शुभ और ओठ, कान की जड़, भौं और चूतड़ पर हों तो अशुभ माने जाते हैं ।

५. विकास । विकसित होना ।

६. कुबेर का विमान । पुष्पक ।

७. एक प्रकार का अंजन या सुरमा ।

८. रसौत ।

९. पुष्करमूल ।

१०. लवंग ।

११. मांस (वाममार्गी) ।

१२. पुखराज । पुष्पराग (को॰) ।

१३. नाटक में कोई ऐसी बात कहना जो विशेष रूप से प्रेम या अनुराग उत्पन्न करनेवाली हो । जैसे,— यह साक्षात् लक्ष्मी है । इसकी हथेली परिजात के नवदल हैं, नहीं तो पसीने के बहाने इसमें से अमृत कहाँ से टपकता ।