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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

पुरोहित संज्ञा पुं॰ [सं॰] [स्त्री॰ पुरोहितानी] वह प्रधान याजक जो राजा या और किसी यजमान के यहाँ अगुआ बनकर यज्ञादि श्रौतकर्म, गृहकर्म और संस्कार तथा शांति आदि अनुष्ठान करे कराए । कर्मकांड करनेवाला । कृत्य करनेवाला ब्राह्मण । विशेष— वैदिक काल में पुरोहित का बड़ा अधिकार था और वह मंत्रियों में गिना जाता था । पहले पुरोहित यज्ञादि के लिये नियुक्त किए जाते थे । आजकल वे कर्मकांड करने के अतिरिक्त, यजमान की और से देवपूजन आदि भी करते हैं, यद्यपि स्मृतियों में किसी की ओर से देवपूजन करनेवाले ब्राह्मण का स्थान बहुत नीचा कहा गया है । पुरोहित का पद कुलपरंपरागत चलता है । अतः विशेष कुलों के पुरोहित भी नियत रहते हैं । उस कुल में जो होगा वह अपना भाग लेगा, चाहे कृत्य कोई दूसरा ब्राह्मण ही क्यों न कराए । उच्च ब्राह्मणों में पुरोहित कुल अलग होते हैं जो यजमानों के यहाँ दान आदि लिया करते हैं ।