प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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पुरुषार्थ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. पुरुष का अर्थ या प्रयोजन जिसके लिये उसे प्रयत्न करना चाहिए । पुरुष के उद्योग का विषय । पुरुष का लक्ष्य । विशेष— सांख्य के मत से त्रिविध दुख की अत्यंत निवृत्ति (मोक्ष) ही परम पुरुषार्थ है । प्रकृति पुरुषार्थ के लिये अर्थात् पुरुष को दुःखों से निवृत्त करने के लिये निरंतर यत्न करती है, पर पुरुष प्रकृति के धर्म को अपना धर्म समझ अपने स्वरूप को भूल जाता है । जबतक पुरुष को स्वरूप का ज्ञान नहीं हो जाता तबतक प्रकृति साथ नहीं छोड़ती । पुराणों के अनुसार धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पुरुषार्थ हैं । चार्वाक मतानुसार कामिनी-संग-जनित सुख ही पुरुषार्थ है ।

२. पुरुषकार । पौरुष । उद्यम । पराक्रम ।

३. पुंस्त्व । शक्ति । सामर्थ्य । बल ।