पुण्ड्र
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनपुंड्र संज्ञा पुं॰ [सं॰ पुणड्र]
१. एक प्रकार की (विशेषतः लाल) ईख । पौंढ़ा ।
२. बलि के पुत्र एक दैत्य का नाम जिसके नाम पर देश का नाम पड़ा ।
३. अतिमुक्तक । तिनिश वृक्ष ।
४. माधवी लता ।
४. ह्वस्व प्लक्ष । पाकर । पक्कड़ ।
६. श्वेत कमल ।
७. चंदन केसर आदि को रेखाओं से शरीर पर बनाया हुआ चिह्न या चित्र । तिलक । टीका । जैसे, ऊर्ध्वपुंड्र ।
८. तिलक वृक्ष ।
९. कीड़ा । कीट । कृमि (को॰) ।
१०. भारत के एक भाग प्राचीन नाम जो इतिहास पुराणादि में मिलता है । महाभारत के अनुसार अंग, बंग, कलिंग, पुंड्र और सुह्म, बलि के इन पाँच पुत्रों के नाम पर देशों के नाम पड़े ।
११. एक प्राचीन जाति । विशेष—इस जाति का उल्लेक ऐतरेय ब्राह्मण में इस प्रकार है— विश्वामित्र के सौ पुत्रौं में से पचास तो नधुच्छदा से बड़े और पचास छोटे थे । विश्वामित्र ने जब शुन शेप का अभिषेक किया तब ज्येष्ठ पुत्र बहुत असंतुष्ट हुए । इसपर विश्वामित्र ने उन्हें शाप दिया कि तुम्हारे पुत्र अंत्यज होगे । अंघ्र, पुंड्र, शवर, मुतिव इत्यादि उन्ही पुत्रों के वंशज हुए जिनकी गिनती दस्युओं में हुई । महाभारत में एक स्थान पर यवन, किरात, गांधार, चीन, शवर आदि दस्यु जातियों के साथ पौंड्रकों का नाम भी है । पर दुसरे स्थान पर 'पौंड्रकों' और सुपुंड्रकों में भेद किया है । पौंड्रकों और पुंड़्रों को तो अंग, बंग, गय आदि के साथ शास्त्रधारी क्षत्रिय लिखा है जिन्होंने युधिष्ठिर के लिये बहुत साधन इकट्ठा किया था । उनके जाने पर युधिष्ठिर के द्धारपाल ने उन्हें नहीं रोका था । पर वंग कलिंग, मगध, ताम्रलिप्त आदि के साथ सुपुंड्रकों का द्धारपाल द्धारा रोका जाना लिखा है जिससे वे वृषलत्वप्राप्त क्षत्रिय जान पड़ते है । मनुस्मृति में जिन पौंड्रकों का उल्लेख है वे भी संस्कारभ्रष्ट क्षत्रिय थे जो म्लेच्छ हो गए थे । इससे पौंड्र या पुंड्र सुपुंड्रों से भिन्न और क्षत्रिय प्रतीत होते हैं । महाभारत कर्णपर्व में भी कुरु, पांचाल, शाल्व, मत्स्य, नैनिष, कलिंग मागध आदि शाश्वत धर्म जाननेवाले महात्माओं के साथ पौंड्रों का भी उल्लेख है, आदिपर्व में बलि के पाँच पुत्रों (अंग वंग आदि) में जिस पुंड्र का नाम है उसी के वंशज संभवतः ये पुंड्र या पौड्र हों । ब्रह्मांड और मत्स्य पुराण के अनुसार पुंड्र लोग प्राच्य (पुरबी भारत के) थे, पर विष्णु पुराण में और मार्कडेय पुराण में उन्हें दाक्षिणात्य लिखा है ।