पीड़न
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनपीड़न संज्ञा पुं॰ [सं॰ पीड़न] [वि॰ पीड़क, पीड़नीय, पीड़ित]
१. दबाने की क्रिया । किसी वस्तु को दबाना । चापना ।
२. पेरना । पेलना ।
३. दुःख देना । यंत्रणा पहुँचाना । तक- लीफ देना ।
४. अत्याचार करना । उत्पीड़न । उ॰—मानव के पाशव पीड़न का देतीं वे निर्भम विज्ञापन ।—ग्राम्या, पृ॰ २४ ।
५. आक्रमण द्वारा किसी देश को बर्भाद करना ।
६. फोड़े को पीव निकालने के लिये दबाना ।
७. किसी वस्तु को भली भाँति पकड़ना । ग्रहण करना । हाथ में पकड़ना । जैसे, पाणिपीड़न ।
८. सूर्य चंद्र आदि का ग्रहण ।
९. उच्छेद । नाश ।
१०. अभिभव । तिरोभाव । लोप ।
११. पेरने या दबाने का यंत्र (को॰) ।
१२. अनाज को डंठल से पीट या रौंदकर निकालना (को॰) ।
१३. आलिंगनबद्ध करना ।