पावक

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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

पावक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. अग्नि । आग । तेज । ताप । विशेष— महाभारत वन पर्व में लिखा है कि २७ पावक ऋषि ब्रह्मा के अंग से उत्पन्न हुए जिनके नाम ये हैं— अंगिरा, दक्षिण, गार्हपत्प, आहवनीय, निर्मथ्य, विद्युत्, शूर, संवर्त, लौकिक, जाठर, विषग, क्रव्य, क्षेमवान्, बैष्णव, दस्युमान्, वलद, शांत, पुष्ट विभावस्तु, ज्योतिष्मान, भरत, भद्र, स्विष्टकृत्, वसुमानू, क्रतु, सोम ओर पितृमान् । क्रियाभेद से अग्नि के ये भिन्न भिन्न नाम है ।

२. सदाचार ।

३. अग्निमंथ वृक्ष । अगेथु का पेड़ ।

४. चित्रक वृक्ष । चीते का पेड़ । भल्लातक । भिलावाँ ।

६. विड़ग । वायविडंग ।

७. कुसुम ।

८. वरुण ।

९. सूर्य ।

१०. संत । तपस्वी (को॰) ।

११. विद्यत् की ज्वाला । बिजली को अग्नि (को॰) ।

१२. तीन की संख्या क्योंकि कर्मकांड में तीन अग्नि प्रधान कहे गए हैं (को॰) । यौ॰— पावककण = अग्निकण । अग्निस्फुलिंग ।उ॰— गा, कोकिल, बरसा पावक कण । — युगांत, पृ॰

३. पावकमणि । पावकशिख = केसर ।

पावक ^२ वि॰ शुद्ब करनेवाला । पावन करनेवाला । पवित्र करनेवाला ।