प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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पारण ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. किसी व्रत या उपवास के दूसरे दिन किया जानेवाला पहला भोजन और तत्संबंधी कृत्य । विशेष— व्रत के दूसरे दिन ठीक रीति से पारण न करे तो पूरा फल नहीं होता । जन्माष्टमी को छोड़कर और सब व्रतों में पारण दिन को किया जाता है । देवपूजन करके और ब्राह्मण खिलाकर तब भोजन या पारण करना चाहिए । पारण के दिन काँसे के बर्तन में न खाना चाहिए, मांस, मद्य, मधु न खाना चाहिए, मिथ्याभाषण, व्यायाम, स्त्रीप्रसंग आदि भी न करना चाहिए । ये सब बातें वैष्णवों के लिये विशेष रूप से निषिद्ध हैं ।

२. तृप्त करने की क्रिया या भाव ।

३. मेघ । बादल ।

४. समाप्ति । खातमा । पूरा करने की क्रिया या भाव ।

५. अध्ययन । पठन । पढ़ना (को॰) ।

६. किसी ग्रंथ का पूर्ण विषय (को॰) ।

पारण ^२ वि॰

१. पार करनेवाली ।

२. उद्धारक । रक्षक [को॰] ।