प्रकाशितकोशों से अर्थ

सम्पादन

शब्दसागर

सम्पादन

पायु संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मलद्वार । गुदा । उ॰—श्रोत्र त्वक चक्षु घ्राण रसना रस को ज्ञान वाक्य पाणिपाद पायु उपस्थ हि बंध जू ।—सुंदर ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ५८८ । विशेष—पायु कर्मेंद्रियों में माना गया है ।

२. भरद्वाज ऋषि के एक पुत्र का नाम ।

३. रक्षक । वह जो रक्षा करे । गोप्ता । पालक [को॰] ।