प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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पाँव संज्ञा पुं॰ [सं॰ पाद, प्रा॰, पाय, पाव] वह अंग जिससे चलते हैं । पैर । पाद । मुहा॰—(किसी काम या बात में) पाँव अड़ाना = किसी बात में व्यर्थ सम्मिलित होना । मामले के बीच में व्यर्थ पड़ना । फजूल दखल देना । पाँव उखड़ जाना = (१) पैर जमे न रहना । पैर हट जाना । स्थिर होकर खड़ा न रह सकना । (२) ठहरने की शक्ति या साहस न रह जाना । लड़ाई में न ठहरना । सामने खड़े होकर लड़ने का साहस न रहना । भागने की नौबत आना । जैसे,—दूसरा आक्रमण ऐसे वेग से हुआ कि सिक्खों के पाँव उखड़ गए । पाँव उखाड़ना = (१) पैर जमा न रहने देना । हटा देना । भगा देना । (२) किसी बात पर स्थिर न रहने देना । द्दढ़ता का भंग करना । पाँव उठ जाना = दे॰ 'पाँव उखड़ जाना' । पाँव उठाना = चलने के लिये कदम बढ़ाना । डग आगे रखना । चलना आरंभ करना । (२) जल्दी जल्दी पैर आगे रखना । डग भरना । पाँव उठाकर चलना = जल्दी जल्दी पैर बढ़ाना । तेज चलना । पाँव उड़ाना = शत्रु के आघात से पैरों की रक्षा । करना । दुश्मन के वार से पैर बचाना । पाँव उतरना = चोट आदि से पैर का गट्टे से सरक जाना । पैर का जोड़ उखड़ जाना । (२) पैर धँसना । पैर समाना । पाँव कट जाना = (१) आने जाने की शक्ति या योग्यता न रहना । आना जाना बंद होना । (२) अन्न जल उठ जाना । रहने या ठहरने का अंत हो जाना । (३) संसार से उठ जाना । जीवन का अंत हो जाना । (जब कोई मर जाता है तब उसके विषय में दुःख के साथ कहते हैं 'आज यहाँ से उसके पाँव कट गए') । पाँव काँपना = दे॰ 'पाँव थरथराना' । पाँव का खटका = पैर रखने की आहट । चलने का शब्द । पाँव की जूती = अत्यंत क्षुद्र सेवक या दासी । पाँव की जूती सिर को लगना = छोटे आदमी का बड़े के मुकाबले में आना । क्षुद्र या नीच का सिर चढ़ना । छोटे आदमी का बड़े से बराबरी करना । पाँव की बेड़ी = बंधन । जंजाल । पाँव की मेहँदी न धिस जायगी = कहीं जाने या कोई काम करने से पैर न मैले हो जायँगे अर्थात् कुछ बिगड़ न जायगा । (जब कोई आदमी कहीं जाने या कुछ करने से नहीं करता है तब यह व्यंग्य बोलते हैं) । पाँव खींचना = घूमना फिरना छोड़ देना । इधर उधर फिरना बंद करना । पाँव गाड़ना = (१) पैर जमाना । जमकर खड़ा रहना । (२) लड़ाई में स्थिर रहना । डटा रहना । किसी बात पर द्दढ़ होना । किसी बात पर जम जाना । पाँव घिसना = चलते चलते पैर थकना । जैसे,—तुम्हारे यहाँ दौड़ते दोड़ते पाँव धिस गए पर तुमने रुपया न दिया । पाँव चलना = दे॰ 'पाँव पाँव चलना' । पाँव छूटना = रजःस्राव होना । रजस्वाला होना । पाँव छोड़ना = उपचार औषध से रजःस्ताव कराना । रुका हुआ मासिक धर्म जारी करना । पाँव जमना = (१) पैर ठहरना । स्थिर भाव से खड़ा होना । (२) द्दढ़ता रहना । हटने या विचलित होने की अवस्था न आना । पैर जमना = (१) स्थिर भाव से खड़ा रहना । (२) द्दढ़ता से ठहरा रहना । न हटना । (३) स्थिर हो जाना । अपने ठहरने या रहने का पूरा बंदोबस्त कर लेगा । जैसे,—अभी से उसे हटाने का यत्न करो, पाँव जमा लेगा तो मुश्किल होगी । पाँव जोड़ना = दो आदमियों का झूले में आमने सामने बैठकर एक विशेष रीति से झूले की रस्सी में पैर उलझाना । पाग जोड़ना । पाँव टिकना = दे॰ 'पाँव जमना' । पाँव टिकाना = (१) खड़ा होना । (२) स्थिर होना । ठहर जाना । विराम करना । पाँव ठहरना = (१) पैर का जमना । पैर न हटना । जैसे,— पानी का ऐसा तोड़ा था कि पाँव नहीं ठहरते थे । (२) ठहराव होना । स्थिरता होना । पाँव डगमगाना = (१) पैर स्थिर न रहना । पैर ठहरा न रहना । पैर का ठीक न पड़ना । इधर उधर हो जाना । लड़खड़ाना । जैसे,—उस पतले पुल पर से मैं नहीं जा सकता, पाँव डममगाते हैं । (२) दृढ़ न रहना = विचलित हो जाना । पाँव डालना = किसी काम में हाथ डालना । किसी काम के लिये तत्पर होना । पाँव डिगना = पैर ठीक स्थान पर न रहना; इधर उधर हो जाना । स्थिर न रहना । विचलित होना । जैसे,—राजा के पाँव सत्य के पथ से न डिगे । पाँव तले की चींटी = क्षुद्र से क्षुद्र जीव । अत्यंत दीन हीन प्राणी । पाँव तले की धरती सरकी जाती है = (ऐसा घोर मर्मभेदी दुःख या आपत्ति है जिस े सुनकर) पृथ्वी कँपी जाती है । (स्त्रियाँ) । पाँव तले की मिट्टी निकल जाना = (किसी भयंकर बात को सुनकर) स्तब्ध सा हो जाना । होश उड़ जाना । होश ठिकाने न रहना । ठक हो जाना । सन हो जाना । सन्नाटे में आ जाना । पाँव तोड़ना = (१) बहुत चलकर पैर थकाना । जैसे,—मै क्यों इतनी दूर जाकर पाँव तोड़ूँ । (२) बहुत दौड़ धूप करना । इधर उधर बहुत हैरान होना । घोर प्रयत्न करना । (किसी के) पाँव तोड़ना । (१) बहुत चलाकर थकाना । (२) दौड़ाकर हैरान करना । पाँव तोड़कर बैठना = (१) कहीं न जाना । अचल होना । स्थिर हो जाना । जैसे,—भारत में दरिद्रता पाँव तोड़कर बैठी है । (२) प्रयत्न करते करते थककर बैठना । हारकर बैठना । पाँव थरथराना = (१) भय, आशंका, निर्बलता आदि से पैर काँपना । (२) किसी काम में भय, आशंका से आगे पैर न उठना । अग्रसर होने का साहस न होना । पाँव दबाना या दाबना = (१) थकावट दूर करने या आराम पहुँचाने के लिये जंघे से लेकर पंजे तक हथेली रख रखकर दबाब पहुँचाना । पाँव पलोटना । (२) सेवा करना । पाँव धरना = पैर रखना । किसी स्थान पर जाना । पधारना । जैसे,—अब उसके दरवाजे पर पाँव नहीं धरेंगे । किसी काम में पाँव धरना = किसी कार्य में अग्रसर होना । किसी कार्य में प्रवृत्त होना । किसी का पाँव धरना = (१) पैर छूकर प्रणाम करना । (२) दीनता से विनय करना । हा हा खाना । पाँव धारनापु = दे॰ 'पाँव धरना' । उ॰—धन्य भूमि वन पंथ पहारा । जहँ जहँ नाथ पाँव तुम धारा ।—तुलसी (शब्द॰) । बुरे पंथ पर पाँव (पग) धरना = बुरे काम में प्रवृत्त होना । उ॰—रघुवंसिन कर सहज सुभाऊ । मन कुपंथ पग धरै न काऊ ।—तुलसी (शब्द॰) पाँव धो धोकर पीना = चरमामृत लैना । बड़े आदर भाव से पूजा करना । पाँव निकलना = दुश्चरित्रता की बात फैलना । बदचलनी की बदनामी फैलना । पाँव निकालना = (१) बढ़कर चलना । जिस स्थिति में हो उससे बढ़कर प्रकट करनेवाले काम करना । ऐसी चाल चलना जो अपने से ऊँचे पद और पित्त के लोगों को शोभा दे । इतराकर चलना । जैसे, किसी सामान्य मनुष्य का अमीरों का सा ठाट वाट रखना । (२) बेकहा होना । निरंकुश होना । स्वेच्छाचारी होना । नटखटी और उपद्रव करना । जैसे,— तुमने बहुत पाँव निकाले हैं, चलो तुम्हारे बाप से कहता हूँ । (३) व्यभिचार करना । बदचलनी करना । (४) उत्साद होना । चालाक होना । इधर ऊधर की बातें समझने बूझने योग्य हो जाना । पक्का होना । जैसे,—तुम तो बहुत सीधे और भोले भाले थे, अब तुमने भी पाँव निकाले । किसी काम से पाँव निकालना = किसी काम से किनारे हो जाना । तटस्थ हो जाना । शामिल न रहना । पाँव पकड़ना, पाँव पकरनापु = (१) विनती करके किसी को कहीं जाने से रोकना । उ॰—जानति जो न श्याम ऐहैं पुनि पाँव पकरि धरि राखाति ।—सूर (शब्द॰) । (२) पैर छूना । बड़ी दीनता और विनय करना । हा हा करना । उ॰—अब यह बात कहौ जनि ऊधो पकरति पाँव तिहारे ।—सूर (शब्द॰) । (३) पैर छूकर नमस्कार करना । भक्ति और आदरपूर्वक प्रणाम करना । पाँव पखारना = (१) पैर धोना । पाँव पड़ना = (१) पैरों पर गिरना । साष्टांग दंडवत् करना । (२) अत्यंत दीनता से विनय करना । (भूत, प्रेत आदि का) पाँव पड़ना † = भूत, प्रेत की छाया पड़ना । प्रभाव पड़ना । पाँव पर गिरना = दे॰ 'पाँव पड़ना' । पाँव पर पाँव रखकर बैठना या सोना = (१) काम धंधा छोड़ आराम से बैठना या पड़ा रहना । चैन से चुपचाप पड़ा रहना । हाथ पैर न चलाना । उद्योग न करना । (२) गाफिल पड़ा रहना । सावधान न रहना । (पाँव पर पाँव रखकर बैठना या सोना कुलक्षण समझा जाता है । लोग कहते हैं, जब यादवों का नाश हो गया तब श्रीकृष्ण पाँव पर पाँव रखकर लेटे) । किसी के पाँव पर पाँव रखना = किसी के कदम ब कदम चलना । किसी की एक एक बात का अनुकरण करना । दूसरा जो कुछ करता जाय वही करते जाना । पाँव पर सिर रखना = दे॰ 'पाँव पड़ना' । पाँव पलोटनापु † = पैर दबाना । पाँवचप्पी करना । पाँवपसारना = (१) पैर फैलाना । (२) आराम से पड़ना या सोना । (३) मरना । (४) आडंबर बढ़ाना । ठाट बाट कारना । उ॰—तेतो पाँव पसारिए जेती लाँबी सौर ।—(शब्द॰) पाँव पाँव = अपने पैरों से, सवारी आदि पर नहीं । पैदल । पा प्यादा । पाँव पाँव चलना = पैरों से चलना । पाँव पाँव चंदन के पाँव = एक वाक्य जिस बच्चे के पहले पहल खड़े होने पर घर की स्त्रियाँ या खेलानेवाली दासियाँ प्रसन्न हो होकर कहती हैं । पाँव पीटना = (१) क्लेश या पीड़ा से पैर उठाना । बेचैनी से पैर पटकना । छटपटाना । तड़फना । (२) मृत्यु की यंत्रणा भोगना । (३) घोर प्रयत्न करना । हैरान होना । जैसे,—बहुत पाँव पीटा पर एक न चली । पाँव पूजना = (१) बड़ा आदर सत्कार करना । बड़ी श्रद्धा भक्ति करना । बहुत पूज्य मानना । (२) विवाह के कन्यादान के समय कन्याकुल के लोगों का वर का पूजन करना और कन्यादान में योग देना । पाँव फिसलना = पैर का जमा न रहना, सरक जाना । रपटना । जैसे,—कोई पर पाँव फिसल गया और गिर पड़े । पाँव फूँक फूँककर रखना = बहुत बचाकर काम करना । कुछ करते हुए इस बात का बहुत ध्यान रखना कि कोई ऐसी बात न हो जाय जिससे कोई हानि या बुराई हो । बहुत सावधानी से चलना । पाँव फूलना = (१) पैरों का भयं आशंका आदि से अशक्त हो जाना । पैर आगे न उठना । (२) पैर में थकावट आना । थकावट से पैर दुखना । पाँव फेरने जाना । (१) विवाह के पीछे दुलहिन का पहले पहल ससुराल में जाना । (२) दुलहिन का ससुराल से पहले पहल अपने मायके या और किसी संबंधी के यहाँ जाना और वहाँ से मिठाई, नारियल का गोला आदि लेकर लौटना । इसके पहले वह और किसी के यहाँ नहीं जा आ सकती । (३)