प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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पलिहर † संज्ञा पुं॰ [सं॰ परिहर (= छोड़ देना, बचा देना, बचा रखना)] वह खेत जिसमें चैती फसल में कोई जिस बोने के लिये अगहनी या भदई फसल में कुछ न बोया जाय और जो केवल जोतकर छोड़ दिया जाय । वह खेत जो बरसात में बिना कुछ बोए केवल जोतकर छोड़ दिया गया हो । चौमासा । क्रि॰ प्र॰—छोड़ना ।—रखना । विशेष—ईख, शकरकंद, गेहूँ, अफीम, आदि बोने के लिये प्रायः ऐसा करते हैं । अन्य धान्यों के लिये बहुत कम पलिहर छोड़ते हैं ।