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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

पल ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. समय का एक बहुत प्राचीन विभाग जो २/५ मिनट या २४ सेकंड के बराबर होता है । घड़ी या दंड का ६० वाँ भाग । ६० विपल के बराबर समयमान ।

२. एक तौल जौ ४ कर्ष के बराबर होती है । विशेष— कर्ष प्रायः एक तोले के बराबर होता है, पर यह मान इसका बिलकुल निश्चित नहीं है । इसी कारण पल के मान में भी मतभेद है । वैद्यक में इसका मान आठ तोला और अन्यत्र चार तोना या तीन तोला चार माशा भी माना जाता है ।

३. चार तोले की एक माप । तेल आदि निकालने के लिये लोहे का डंडीदार पात्र । इसमें करीब चार तोले तेल आता है । परी । पैरी । पला । पली । उ॰— अबतक कई गावों में प्रत्येक घानी से प्रतिदिन एक एक 'पल' तेल मंदिरों के निमित्त लिए जाने की प्रथा चली आदी है ।— राज॰ इति॰, पृ॰ ४२७ । ४ मांस । उ॰—पल आमिष को कहत कवि, षट उसास पल होय । पल जु पलक हरि बिच परे गोपिन जुग सत सोय ।— अनेकार्थ॰, पृ॰ १४० ।

५. धान का सूखा डंठल जिससे दाने अलग कर लिए गए हों । बवाल ।

६. धोखेबाजी । प्रतारणा ।

७. चलने की क्रिया । गति ।

८. मूर्ख ।

९. तराजू । तुला ।

१०. कीचड़ । गिलाव या गाब । पलल (को॰) ।

पल ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पलक]

१. पलक । दृगंचल । उ॰— झुकि झुकि झपकौहैं पलनु फिरि फिरि जुरि, जमुहाइ । बींदि पियागम नींद मिसि दी सब सखी उठाय ।— बिहारी र॰, दो॰ ५८९ । विशेष— पहले साधारण लोग पल और निमेष के कालमान में कोई अंतर नहीं समझते थे । अतः आँख के परदे का प्रत्येक पल में एक बार गिरना मानकर उसे भी पल या पलक कहने लगे । मुहा॰— पल मारते या पल मारने में = बहुत ही जल्दी । आँख झपकते । तुरंत । जैसे,—पल मारते वह अदृश्य हो गया ।

२. समय का अत्यंत छोटा विभाग । क्षण । आन लहजा । दम । विशेष— कहीं इसे स्त्रीलिंग भी बोलते हैं । मुहा॰— पल के पल या पल की पल में = बहुत ही अल्प काल में । बात की बात में । क्षण भर में ।