पर्व
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनपर्व संज्ञा [सं॰ पर्वन्]
१. धर्म, पुण्यकार्य अथवा उत्सव आदि करने का समय पुण्यकाल । विशेष— पुराणनुसार चतुर्दशी, अष्टमी, आमावास्या, पूर्णिमा और संक्रांति ये सब पर्व हैं । पर्व के दिन स्त्रीप्रसंग करना अथवा मांस, मछली आदि खाना निषिद्ध है । जो ये सब काम करता है, कहते हैं, वह विसमूत्रभोजन नामक नरक में जाता है । पर्व के दिन उपवास, नदीस्नान, श्राद्घ, दान और जप आदि करना चाहिए ।
२. चातुर्मास्य ।
३. प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा अथवा आमावास्या तक का समय । पक्ष ।
४. दिन ।
५. क्षण ।
६. अवसर । मौका ।
७. उत्सव ।
८. संधिस्थान । वह स्थान जहाँ दो चीजें, विशेषतः दो अंग जुड़े हों । जैसे, कुहनी अथवा गन्ने में की गाँठ ।
९. यज्ञ आदि के समय होनेवाला उत्सव अथवा कार्य । १० अंश । खंड । भाग । टुकड़ा । हिस्सा । जैसे, महाभारत के अठारह पर्व, उँगली के पर्व (पोर) आदि ।
११. सूर्य अथवा चंद्रमा का ग्रहण ।