प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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परिषद् संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. प्राचीन काल की विद्बान् ब्राह्मणों की वह सभा जिसे राजा समय समय पर राजनीति, धर्मशास्त्र आदि के किसी विषय पर व्यवस्था देने के लिये आवाहित किया करता था और जिसका निर्णय /?/सर्वमान्य होता था ।

२. सभा । मजलिस ।

३. समूह । समाज । भीड़ ।

४. विद्याप्राप्ति का केंद्र । उ॰—वृहदारणयक उपनिषद् के परिषदों का उल्लेख है जो विद्यापीठ थे और जिनमें बहुत से छात्र इकट्ठे होते थे ।—हिंदु॰ सभ्यता, पृ॰ १३१ ।