हिन्दी सम्पादन

प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

परिवाद संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. निंदा । दोषकथन । अपवाद । बुराई करना ।

२. मनुस्मृति के अनुसार ऐसी निंदा जिसकी आधारभूत घटना या तथ्य सत्य न हो । झूठी निंदा ।

३. लोहे के तारों का वह छल्ला जिससे वीणा या सितार बजाया जाता है । मिजराब ।