परसपर क्रि॰ वि॰ [ सं॰ परस्पर] दे॰ 'परस्पर' । उ॰—(क) मुनि रघुबीर परसपर नवहीं ।—मानस, २ ।१०८ । (ख) मोहन लखि छबि परसपर चंचल चख चित चोर । मंजु मालती कुंज मैं बिहरत नंदकिसोर ।—स॰ सप्तक, पृ॰ ३४३ ।