परवास ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रवास] दे॰ 'प्रवास' । उ॰—सब परवास निरंतर खेलहि, जहँ जस तहाँ समाया ।—जग॰ बानी, पृ॰ १७ ।
परवास ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ वास] आच्छादन । उ॰—कपड़सार सूची सहस बाँधि बचन परवास । किंय दुराउ यह चतुरी गो सठ तुलसीदास ।—तुलसी (शब्द॰) ।