परवल

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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परवल संज्ञा पुं॰ [सं॰ पटोल]

१. एक लता जो टट्टियों पर चढाई जाती है और जिसके फलों की तरकारी होती है । विशेष—यह सारे उत्तरीय भारत में पंजाब से लेकर बंगाल आसाम तक होती है । पूरब में पान भीटों पर परवल की बेलें चढा़ई जाती हैं । फल चार पाँच अंगुल लंबे और दोनों सिरों की ओर पतले या नुकीले होते हैं । फलों के भीतर गूदे के बीच गोल बीजों की कई पंक्तियाँ होती हैं । परवल की तककारी पथ्य मानी जाती है और ज्वर के रोगियों को दी जाती है । वैद्यक में परवल के फल कटु, तिक्त, पाचन, दीपन, हृद्य, वृष्य, उष्ण, सारक तथा, कफ, पित्त, ज्वर दाह को हटानेवाले माने जाते हैं । जड़ विरेचक और पत्ते तिक्त और पित्तनाशक कहे गए हैं । पर्या॰—कुलक । तिक्त । पटु । कर्कशफल । कुलज । वाजि- मान । लताफल । राजफल । वरतिक्त । अमृताफल । कटु- फल । राजनाम । बीजगर्भ । नागफल । कुष्ठारि । कासमर्दन । ज्योतस्नी । कच्छुघ्नी ।

२. चिचड़ा जिसके फलों की तरकारी होती है ।