पनाह
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनपनाह संज्ञा स्त्री॰ [फा॰]
१. शत्रु से, संकट या कष्ट से बचाव या रक्षा पाने की क्रिया या भाव । त्राण । बचाव । उ॰— महिमा मँगोल ताकी पनाह । बैठ्यो अडोल तिन गही बाह ।—हम्मीर॰, पृ॰ १६ । क्रि॰ प्र॰—पाना ।—माँगना । मुहा॰—(किसी से) पनाह माँगना = किसी बहुत ही अप्रिय या अनिष्ट वस्तु अथवा व्यक्ति से दूर रहने की कामना करना । किसी से बहुत बचने की इच्छा करना । जैसे,—आप दूर रहिए, मैं आपसे पनाह माँगता हूँ ।
२. रक्षा पाने का स्थान । बचाव का ठिकाना । शरण । आड़ । ओट । क्रि॰ प्र॰—ढूँढ़ना ।—देना ।—पाना ।—माँगना । मुहा॰—पनाह लेना = विपत्ति से बचने के लिये रक्षित स्थान में पहुँचना । शरण लेना ।