पग

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

पग संज्ञा पुं॰ [सं॰ पदक, प्रा॰ पअक, पक]

१. पैर और पाँव ।

२. चलने में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पैर रखने की क्रिया की समाप्ति । डग । फाल ।

३. चलने में जिस स्थान से पैर उठाया जाय और जिस स्थान पर रखा जाय दोनों के बीच की दूरी । डग । फाल । मुहा॰—पग परना = पैरों पर सिर रखकर प्रणाम करना । पाँव लगना या छूना । उ॰—अस कहि पग परि पेम अति सिय हित विनय सुनाइ ।—मानस, २ ।२८४ । पग फूँककर धरना = सावधान होकर और सोच समझकर कदम रखना । उ॰—धनमानों को प्रति पग फूँककर धरना पड़ता है ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ २७९ । पग रोपना = कोई प्रतिज्ञा करके किसी जगह दृढ़तापूर्वक पैर जमाना ।