पकड़ना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनपकड़ना कि॰ स॰ [सं॰ प्रकृष्ट, + प्रा॰ पक्कड्ढ]
१. किसी वस्तु को इस प्रकार दृढ़ता से स्पर्श करना या हाथ में लेना कि वह जल्दी छूट न सके अथवा इधर उधर जा या हिल डोल न सके । धरना । थामना । गहना । ग्रहण करना । जैसे,— (क) छड़ी पकड़ना । (ख) उसका हाथ पकड़े रहो, नींह तो वह गिर पड़ेगा । (ग) किसी वस्तु को उठाने के लिये चिमटी से पकड़ना । संयो॰ क्रि॰—देना ।—लेना ।
२. छिपे हुए या भागते हुए को पाना और अछिकार में करना । काबू में करना । गिरफ्तार करना । जैसे, चोर पकड़ना ।
३. गति या व्यापार न करने देना । कुछ करने से रोक रखना । स्थिर करना । ठहराना । जैसे, बोलते हुए की जबान पकड़ना, मारते हुए का हाथ पकड़ना । संयो॰ क्रि॰—लेना ।
४. ढूँढ़ निकालना । पता लगाना । जैसे, गलती पकड़ना, चोरी पकड़ना ।
५. कुछ करते हुए को कोई विशेष बात आने पर रोकना । टोकना । जैसे,—जहाँ वह भूल करे वहाँ उसे पकड़ना ।
६. दौड़ने, चलने या और किसी बात में बढ़े हुए के बराबर हो जाना । जैसे,—(क) दौड़ में पहले तो दूसरा आगे बढ़ा था पर पीछे इसने पकड़ लिया । (ख) यदि तुम परिश्रम से पढ़ोगे तो दो महीने में उसे पकड़ लोगे ।
७. किसी फैलनेवाली वस्तु में लगकर उनका अपने में संचार करना । जैसे, फूस का आग को पकड़ना, कपड़े का रंग पकड़ना ।
८. लगकर फैलना या मिलना । संचार करना । जैसे आग का फूस को पकड़ना ।
९. अपने स्वभाव या वृत्ति के अंतर्गत करना । धारण करना । जैसे, चाल पकड़ना, ढंग पकड़ना ।
१०. आक्रांत करना । ग्रसना । ग्रसना । छोपना । घेरना । जैसे, रोग पकड़ना, गठिया पकड़ना ।
पकड़ना क्रि॰ स॰ [हिं॰ पकड़ना का प्रे॰ रूप]
१. किसी के हाथ में देना या रखना । थमाना । जैसे,—यह किताब उन्हें पकड़ा दो ।
२. पकड़ने का काम कराना । ग्रहण कराना । जैसे, चोर पकड़ाना । संयो॰ क्रि—देना ।