प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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पंजीरी ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ पाँच + जीरा] एक प्रकार की मिठाई जो आँटे को घी में भूनकर उसमें धनिया, सोंठ, जीरा आदि मिलाकर बनाई जाता है । विशेष—इसका व्यवहार विशेषतः नैबेद्य में होता है । जन्माष्टमी के उत्सव तथा सत्यनारायण की कथा में पंजीरी का प्रसाद बँटता है । पंजीरी प्रसूता स्त्री कि लिये भी बनती है ओर पठावे में भी भेजी जाती है ।

पंजीरी ^२ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] दक्षिण का एक पौधा जो मालाबार, मैसूर तथा उत्तरी सरकार में होता है ओर ओषधि के काम में आता है । यह उत्तेजक, स्वेदकारक और कफानाशक होता है । जुकाम या सर्दी में इसकी पत्तियों ओर डंठलों का काढ़ा दिया जाता है । संस्कृत में इसे इंदुहर्णी ओर अजपाद कहते हैं ।