पंचजन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनपंचजन संज्ञा पुं॰ [सं॰ पञ्चजन]
१. पाँच वा पाँच प्रकार के जनों का समूह ।
२. गंधर्व, पितर, देव, असुर और राक्षस ।
३. ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और निषाद ।
४. मनुष्य । जन- समुदाय ।
५. पुरुष ।
६. मनुष्य जीव और शरीर से संबंध रखनेवाले प्राण आदि ।
७. एक प्रजापति का नाम ।
८. एक असुर जो पाताल में रहता था । विशेष—यह कृष्णचंद्र के गुरु संदीपनाचार्य के पुत्र को चुरा ले गया था । कृष्णचंद्र इसे मारकर गुरु के पुत्र को छुड़ा लाए थे । इसी असुर की हड्डी से 'पाँचजन्य' शंख बना था जिसे भगवान् कृष्णचंद्र बजाया करते थे ।
९. राजा सगर के पुत्र का नाम ।