पंचचामर संज्ञा पुं॰ [सं॰ पंञ्चचामर] एक छंद का नाम । इसके प्रत्येक चरण में जगण, रगण, जगण, रगण, मगण और अंत में गुरु होते हैं । इसे नाराच और गिरिराज भी कहते हैं । दे॰ 'नाराच' ।