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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

पंचक संज्ञा पुं॰ [सं॰ पञ्चक]

१. पाँच का समूह । पाँच का संग्रह । जैसे, इंद्रियपंचक, पद्यपंचक ।

२. वह जिसके पाँच अवयव या भाग हों ।

३. पाँच सैकड़े का व्याज ।

४. धनिष्ठा आदि पाँच नक्षत्र जिसमें किसी नए कार्य का आरंभ निषिद्ध है । (फलित ज्यो॰) । पचखा ।

५. शकुन शास्त्र ।

६. पाशुपत दर्शन में गिनाई हुई आठ वस्तुएँ जिनमें प्रत्येक के पाँच पाँच भेद किए गए हैं । ये आठ वस्तुएँ ये हैं—लाभ, मल, उपाय, देश, अवस्था, विशुद्धि दीक्षा, कारिक और बल ।

७. पाँच प्रतिनिधियों की सभा । पंचायत ।

८. युद्धक्षेत्र । रणभूमि (को॰) ।