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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

पंगुर पु वि॰ [सं॰ पङ्गुल] दे॰ 'पंगुल' । उ॰—(क) जैसे नर पंगुरो विन सु झंगुरी न चल्ल हि । आधारित झंगरी हरूवह वत्त न चल्लहि ।—पृ॰ रा॰, ६१ ।१०२८ । (ख) सब पंगुर किहि बिधि कहत यह जयचंद सु इंद ।—पृ॰ ६१ । १०२७ ।