प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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पंक्तिपावन संज्ञा पुं॰ [सं॰ पङक्तिपावन]

१. वह ब्राह्मण जिनको यज्ञादि में बुलाना, भोजन कराना और दान देना श्रेष्ठ माना गया है । विशेष—मनु आदि स्मृतियों में ऐसे ब्राह्मणों की गणना दी गई है । शास्त्रों का कथन है कि ऐसा ब्राह्मण यदि एक भी मिले तो वह ब्राह्मणों की पंक्ति को पवित्र कर देता है ।

२. वह गृहस्थ जो पंचाग्नियुक्त हो ।